देखो लौट के ख़ामोश इतबार आ गया है


फिर दिलाने एहसास मेरे अकेलेपन का,

देखो लौट के ख़ामोश इतबार आ गया है।


शाम कब रात हो जाती है पता नहीं लगता,

दोस्त जब बड़े हो जाते हैं कुछ खेल नहीं लगता.!


Read more shayriya click here


✍️ Krishna S

Leave a Reply