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कलयुग

कलयुगी दुनिया

मतलबी दुनिया जमाना कलयुगी, आदमी को रौंदता हर आदमी ! और ज़्यादा और ज़्यादा चाहिए, बुझ न पाएगी कभी ये तिश्नगी ! है जलन, लालच, बनावट हर तरफ, अब नहीं…

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ख्वाब से अब जरा जगने लगी, जिंदगी को बेहतर समझने लगी हूँ ! उड़ती थी शायद कभी ऊंची हवा में, जमीन पर अब पैदल चलने लगी हूँ ! लफ्जों की अब मुझको जरूरत नहीं है, चेहरों को जब से मैं पढ़ने लगी हूँ ! दुनिया के बदलते रंगों को देखकर, शायद में कुछ-कुछ बदलने लगी हूँ ! परवाह नहीं कोई साथ चले मेरे हमदम , मैं अकेले ही आगे बढ़ने को मचलने लगी हूँ ! कोई समझे या ना समझे मुझे अब फर्क नहीं, शायद जिंदगी को पहले से बेहतर मैं समझने लगी हूँ !

जिंदगी को बेहतर समझने लगी हूँ

Best life poem in Hindi ख्वाब से अब जरा जगने लगी, जिंदगी को बेहतर समझने लगी हूँ ! उड़ती थी शायद कभी ऊंची हवा में, जमीन पर अब पैदल चलने…

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Part 1 | Top 10 Best kamyabi shayari in hindi | Motivation

Part 1 | Top 10 Best kamyabi shayari in hindi | Motivation

Top 10 Best kamyabi shayari in hindi | Motivation हैलो दोस्तों तो कैसे हो आप लोग? मै आशा करता हु सब एकदम मस्त होंगे। दोस्तों आपने हमारे पहले की कामयाबी…

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यू तो कहने को इंसान बहुत है

खुशियां कम और अरमान बहुत है, जिसे भी देखो परेशान बहुत है..!! करीब से देखा तो निकला रेत का घर मगर दूर से इनकी शान बहुत है..!! कहते है सच…

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