वो एक लडका था इसलिए उसे कमाने जाना था,
क्या हक था तुम्हे यूं बिना किसी के गलती के इतना मारने का ।
आंसू तब नहीं आए जब तूने मारा,
आंसू उसके तब निकले जब तूने उसको उसकी बिना गलती के,
उसका आत्मसम्मान मार डाला ।
मोहतरमा, एक बार लड़का बन कर तो देखिए,
जब कोई करती आत्मसम्मान का अपमान तो,
सर झुका कर खड़ा रहना पड़ता है ।
क्योंकि लड़के की कोई नहीं सुनता न पुलिस न जनता ।
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