पुरानेपन के शिकार अब भी हम
हैं पुरानेपन के शिकार अब भी हम, सो जब चाय सामने आती है, तो मुस्कान आ ही जाती है...! ... उसे देख कर घुमा लू भले ही नज़रें अपनी पर…
हैं पुरानेपन के शिकार अब भी हम, सो जब चाय सामने आती है, तो मुस्कान आ ही जाती है...! ... उसे देख कर घुमा लू भले ही नज़रें अपनी पर…