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Jaruri hai kya

अपनी गंदी जुबां को बंद रखा करो

कह दिया हम इस काबिल नहीं हैं एक और मोहतरमा का आज हम दिल तोड़ आए, कह दिया हम इस काबिल नहीं हैं माफ करें... ... ख़ौफ़ज़दा हैं हम अपनी…

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पुरानेपन के शिकार अब भी हम

हैं पुरानेपन के शिकार अब भी हम, सो जब चाय सामने आती है, तो मुस्कान आ ही जाती है...! ... उसे देख कर घुमा लू भले ही नज़रें अपनी पर…

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