*देख लो इक नज़र मेरे आशियाने बेजान हो गया मैं,
टूटा हुआ,बिखरा हुआ अफ़ग़ानिस्तान हो गया मैं !
*गुस्ताखियां यही की आजाद हो गया था,
अफसोस घर ही घर में बरबाद हो गया था !
*काफ़िर हवा का झोंका श्मशान हो गया मैं,
मकरंद खो गया तालिबान हो गया मैं !
*देख लो इक नज़र मेरे आशियाने बेजान हो गया मैं!
टूटा हुआ,बिखरा हुआ अफ़ग़ानिस्तान हो गया मैं !
समर्पित:- *निर्दोष मानव जाति* ✍🏻
Pingback: Best barbad shayri | in Hindi | barbaad | shayriya.com